Vedic Darshan (Set of 6 Darshans) in Hindi and Sanskrit
इन सभी दर्शनों के अपने-अपने विषय है। जिनका संक्षिप्त परिचय यहाँ दिया जाता है – १. मीमांसा दर्शन – इसमें धर्म एवम् धर्मी पर विचार किया गया है। यह यज्ञों की दार्शनिक विवेचना करता है लेकिन साथ-साथ यह अनेक विषयों का वर्णन करता है। इसमें वेदों का नित्यत्व और अन्य शास्त्रों के प्रमाण विषय पर विवेचना प्रस्तुत की गई है। २. न्याय दर्शन – इस दर्शन में किसी भी कथन को परखने के लिए प्रमाणों का निरुपण किया है। इसमें शरीर, इन्द्रियों, आत्मा, वेद, कर्मफल, पुनर्जन्म आदि विषयों पर गम्भीर विवेचना प्राप्त होती है। ३. योग दर्शन – इस दर्शन में ध्येय पदार्थों के साक्षात्कार करने की विधियों का निरुपण किया गया है। ईश्वर, जीव, प्रकृति इनका स्पष्टरूप से कथन किया गया है। योग की विभूतियों और योगी के लिए आवश्यक कर्तव्य-कर्मों का इसमें विधान किया गया है। ४. सांख्य दर्शन – इस दर्शन में जगत के उपादान कारण प्रकृति के स्वरूप का वर्णन, सत्त्वादिगुणों का साधर्म्य-वैधर्म्य और उनके कार्यों का लक्षण दिया गया है। त्रिविध दुःखों से निवृत्ति रूप मोक्ष का विवेचन किया गया है। ५. वैशेषिक दर्शन – इसमें द्रव्य को धर्मी मानकर गुण आदि को धर्म मानकर विचार किया है। छः द्रव्य और उसके 24 गुण मानकर उनका साधर्म्य-वैधर्म्य स्थापित किया गया है। भौतिक-विज्ञान सम्बन्धित अनेको विषयों को इसमें सम्मलित किया गया है। ६. वेदान्त दर्शन – इस दर्शन में ब्रह्म के स्वरूप का विवेचन किया गया है तथा ब्रह्म का प्रकृति, जीव से सम्बन्ध स्थापित किया गया है। उपनिषदों के अनेको स्थलों का इस ग्रन्थ में स्पष्टीकरण किया गया है।
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