“ईश्वर (ॐ) ने इस संसार को बहुत ही सुंदर, सहज, सुखी, सद्गुणी, सतरूपी, सात्विक, सजीवित, शक्तिशाली, समृद्धशाली, शांतिप्रिय व न्यायिक ढंग से बनाए है ; जिसमें जीवन के आस्तिव में रहने वाले सब प्रकार के जीव, जंतु, पशु, पक्षी, जानवर, प्राणी, पेड़-पौधे आदि प्राणी को सुव्यवस्थित ढंग से सब प्रकार के सुख, शांति, समृद्धि, सुविधा और आनंद प्राप्त होता ही रहता है । इस संसार में मनुष्य को छोड़कर शेष सब जीव, प्राणी न भूखे सोते है, न भूख से मरते है और न वे अव्यवस्थित, कुनितियों में रहते है ; क्योंकि उनको अपना पेट भरने, बर्चस्व, व्यवस्था बनाने या संपत्ति इकठ्ठा कर के सुख सुविधा का साधन जुटाने के लिए मुद्रा नहीं कमाना पड़ता है । इस दुनिया में मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो अपना पेट भरने, सब भौतिक सुख सुविधा के लिए व्यवस्था, वर्चस्व आदि बनाने व स्वयं को गुलाम बनाकर भौतिकता में जीते रहने के लिए जीवन भर अवैध मुद्रा कमाता ही रहता है ; इसलिए वह, पापी पेट का सवाल है, ऐसा कहकर जीवन भर अपनी गुलामी को बरकरार रखकर शोषित होते रहने के लिए अवैध मुद्रा कमाता ही रहता है ; इसीलिए मनुष्य इस संसार में अव्यवस्थित, असंगठित, अधर्म, अन्याय, दुःख, असत्य, भौतिकता, काल्पनिकता, कुनितियों और मजहबी किताबों के जंजाल में हमेशा फंसा ही रहता है । अवैध मुद्रा का स्वामी शैतानी सभ्यता है ; शैतानों का गुप्त बैंकर सोसायटी पैशाचिक है ; जो अवैध मुद्रा के सिस्टम द्वारा नकली महामारी, आधार, नई विश्व व्यवस्था, एजेंडा-2030, RFID, HAARP, प्रोजेक्ट ब्लू बीम आदि के अनैतिक- सिद्धांत, परियोजना व तकनीको के माध्यम से मानवता पर कब्जा करके मानव पालन करवाना चाहता है ; क्योंकि उनका मुख्य खाना पीना मनुष्य का मांस और रक्त है । कोई भी मनुष्य स्वयं को तबतक नहीं जान सकता जबतक वह शैतानों के अवैध मुद्रा के मायाजाल से बाहर नहीं निकल जाता ; क्योंकि अवैध मुद्रा ही मोह माया सहित सब प्रकार के भौतिक दुःख, पाप, अशांति, अनाचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, शोषण, अनीति, अधर्म आदि अव्यवस्था का मुख्य कारण है ; तो इस अवैध मुद्रा के जंजाल से मुक्त होकर मनुष्य मोक्ष के दरवाजे तक कैसे पहुंच सकता है ? इसका सब कारण और निवारण शैतानों का मायाजाल शोधग्रंथ के माध्यम से आप जान जाएंगे ।”

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कोई भी मनुष्य स्वयं को तबतक नहीं जान सकता जबतक वह शैतानों के अवैध मुद्रा के मायाजाल से बाहर नहीं निकल जाता ; क्योंकि अवैध मुद्रा ही मोह माया सहित सब प्रकार के भौतिक दुःख, पाप, अशांति, अनाचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार, व्यभिचार, शोषण, अनीति, अधर्म आदि अव्यवस्था का मुख्य कारण है ; तो इस अवैध मुद्रा के जंजाल से मुक्त होकर मनुष्य मोक्ष के दरवाजे तक कैसे पहुंच सकता है ? इसका सब कारण और निवारण शैतानों का मायाजाल शोधग्रंथ के माध्यम से आप जान जाएंगे ।”
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