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Shaitano Ka Mayajal Bhag-2

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शैतानों का गुप्त सोसायटी पैशाचिक है जो नई वैश्विक व्यवस्था (New World Order), एजेंडा-2030, RFID, HAARP, प्रोजेक्ट ब्लू बीम, नकली महामारी आदि के अनैतिक— योजना, सिद्धांत व तकनीको के माध्यम से, मानवता को गुलाम बनाकर ” मानव पालन ” करवाना चाहता है ; इस विषय को आप इस शोध पुस्तक द्वारा अच्छे से समझ जाएंगे ।

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Yantraveta Aashutosh Aanand Raj

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Description

“ वर्तमान इस संसार में, मनुष्य को छोड़कर, शेष सब जीव, प्राणी सुख पूर्वक सोते है, भूख जितनी खातें है, और सुव्यवस्थित, प्रकृति के सानिध्यों में रहते है ; क्योंकि मनुष्य शैतानी व्यवस्थाओं का गुलाम हो गया है ; जो अपना पेट भरने, सब भौतिक— सुख सुविधा, व्यवस्था, वर्चस्व आदि बनाने व स्वयं को बैंकरों का गुलाम बनाकर, भौतिकता में जीते रहने व सरकार को कर देकर, जीवन भर अपनी गुलामी को बरकरार रखकर, शोषित होते रहने के लिए, अवैध मुद्रा कमाता ही रहता है ; अतः हम कह सकते है कि- मनुष्य शैतानों के मायाजाल में फँस गया है । अवैध मुद्रा का स्वामी शैतान है ; और उसकी व्यवस्था शैतानी सभ्यता है ; शैतानों का गुप्त बैंकर सोसायटी पैशाचिक है ; जो अवैध मुद्रा के सिस्टम द्वारा नकली महामारी, आधार, नई वैश्विक व्यवस्था (New World Order), एजेंडा-2030, RFID, HAARP, प्रोजेक्ट ब्लू बीम आदि के अनैतिक— योजना, सिद्धांत व तकनीको के माध्यम से, मानवता को गुलाम बनाकर ” मानव पालन ” करवाना चाहता है ; क्योंकि उनका मुख्य खाना पीना मनुष्य का मांस और रक्त है । शोध बताते है कि—एजेंडा-2030 के जरिए शैतानों द्वारा विषमविधान— NWO के नाम पर आध्यात्मिक अर्थ व्यवस्था का युद्ध चल रहा है ; जिसमे नकली महामारी लाकर, जबरन विश्व के सब देशों को कैदखाना में तब्दीलकर, सब लोगों को शैतान का टिका देने का षड़यंत्र किया जाएगा; जिससे लोगो का DNA बदल जाएगा ; और वह ट्रांसह्यूमन में बदल जाएगा ; वैक्सीन में मिले केमिकल पर जिस कंपनी का पेटेंट होगा ? वह सब व्यक्ति उस कंपनी का गुलाम व सम्पति बन जाएगा ; DNA इसलिए बदलना है.. ताकि उसे शैतानों के खोराक के रूप में उपलब्ध कराया जा सकें ; क्योंकि दुनिया में केवल एक ही शैतान का सत्ता होगी ; एक शैतानी सभ्यता-संस्कृति, एक भाषा, एक करेंसी, एक केंद्रीय बैंक, एक राष्ट्र, एक सेना, एक इन्सुरेंस, एक चिकित्सा, एक भोजन, एक आधार, एक व्यवस्था, एक पहचान…होगी ।
शैतानी दुनिया चौथा आयाम से शुरू होती है ; जिसे समझना बहुत कठिन है ; अतः कोई भी मनुष्य इस शैतानी व्यवस्था के मायाजाल से बाहर तबतक नहीं निकल सकता.. जबतक वह स्वयं के आत्मिक शक्ति को जागृत नहीं कर लेता….।”

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